समय का माना हुआ टुकडा या भाग, यह ही ताल की नाड़ी है। सतत् मनन, चिंतन द्वारा इसकी लम्बाई एक सी रखने का प्रयत्न होना चाहिये क्योंकि, किसी भी ताल की मात्राएँ बराबर होती हैं अत: इन मात्राओं को एक सा रखना ही ताल, लय में पूर्णता प्राप्त करना है। लय यदि ठीक होगी तो ताल बराबर आयेगा ही और ताल के शुद्घ होने पर सम, सम पर आयेगी। इस प्रकार इनका एक दूसरे से घनिष्ठ संबंध है।
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