भारतीय संगीत से, सम्पूर्ण भारतवर्ष की गायन वादन कला का बोध होता है। भारतीय शास्त्रीय संगीत की 2 प्रणालियाँ हैं। दक्षिण भारतीय संगीत पद्धति अथवा कर्नाटक संगीत प्रणाली और दूसरी हिन्दुस्तानी संगीत प्रणाली, जो कि समुचे उत्तर भारतवर्ष मे प्रचलित है। दक्षिण भारतीय संगीत कलात्मक खूबियों से परिपूर्ण है। और उसमें जनता जनार्दन को आकर्षित करने की और समाज मे संगीत कला की मौलिक विधियों द्वारा कलात्मक संस्कार करने की क्षमता है।
हिन्दुस्तानी संगीत प्रणाली के गायन वादन में, जन साधारण को कला की ओर आकर्षित करते हुए, भावना तथा रस का ऐसा स्त्रोत बहता है कि श्रोतृवर्ग स्वरसागर में डूब जाता है और न केवल मनोरन्जन होता है अपितु आत्मानन्द की अनुभूति भी होती है; जो कि योगीजन अपनी आत्मसमाधि मे लाभ करते हैं।
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